Sunday, May 11, 2014

Release of "Maidh Kshatriya Vansh Ke Gotra Evam Kuldeviyan' Epic


मैढ़ क्षत्रिय वंश के गोत्र एवं कुलदेवियाँ ग्रन्थ 
विमोचन कार्यक्रम सम्पन्
जयपुर, 11 मई। स्वर्णकार समाज उत्थान समिति, जयपुर द्वारा रविवार को जयपुर स्थिति पिंकसिटी प्रेस क्लब सभागार में ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रीमान् रामनारायण सोनी, लाडनू, नागौर जिनके द्वारा पूवमें 'मैढ़ क्षत्रिय जाति का इतिहास' ग्रन्थ का लेखन कार्य पूर्ण किया गया था। इनके द्वारा गत 6-7 वर्षों के अथक प्रयास एवं शोधपरक कार्य करते हुए 'मैढ़ क्षत्रिय वंश के गोत्र एवं कुलदेवियाँ' ग्रन्थ का लेखन कार्य पूण्र किया गया है। इस ग्रन्थ की प्रकाशक संस्था स्वर्णकार समाज उत्थान समिति, जयपुर है। प्रकाशन संस्था के रूप में समिति द्वारा 'मैढ़ क्षत्रिय वंश के गोत्र एवं कुलदेवियाँ' ग्रन्थ का विमोचन कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न कियगया।
ग्रन्थ का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमान् राजेन्द्र राठौड़-चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, राजस्थान सरकार, कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमान् मातादीन सोनी-महामंत्री सर्राफा ट्रैडर्स कमेटी, जयपुर, मुख्य वक्ता प्रोफहरिशकर पाण्डेय-अधिष्ठाता, श्रमणा विद्या संकाय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, उप्र, ग़्रन्थ के रचयिता श्रीमान् रामनारायण सोनी-लाड़नू नागौर, विशिष्ट अतिथि श्रीमान् सतीश सोनी-अध्यक्ष, मुण्डाधाम मंदिर, हनुमानगढ़ के कर-कमलों से किया गया। विमोचन के समय संस्था के सदस्य एवं परामर्शदाता मण्डल के उपस्थित सदस्य भी मंच पर उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती एवं महाराजा अजमीढ़ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों का परिचय संस्था के संयुक्त सचिव एवं कार्यक्रम संयोजक उमेश कुमार सोनी द्वारा करवाया गया। अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न द्वारा अभिनन्दन संस्था के सचिव योगेश कुमार सोनी एवं उपाध्यक्ष संजय सोनी द्वारा किया गया। संस्था का परिचय संदीप सोनी द्वारा एवं कार्यक्रकी रूपरेखा हितेशचन्द्र स्वर्णकार द्वारा प्रेषित की गई। तत्पश्चात् कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो हरिशंकर पाण्डेय जिनके सतत् मार्गदर्शन में उक्त ग्रन्थ का लेखन कार्य पूर्ण किया गया है, के द्वारा अपने वक्तव्य में सर्वप्रथम गोकी परिभाषा, अर्थ एवं महत्व पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। इसके पश्चात् आपके द्वारा कुलदेवियाँ की महिमा का अद्भुत वर्णन किया गया। जिसके अन्तर्गत शिव एवं शक्ति की प्राचीन अवधारणा से सभी को अवगत कराया गया। आपने इस ग्रन्थ के लेखन के संबंध में श्रीमान् रामनारायण सोनी की निष्ठा, श्रम एवं दृढ़ निश्चय तथा ग्रन्थ लेखन की सम्पूर्ण यात्रा का संस्मरण उपस्थित समाजजन के समक्ष रखा। आपने बताया कि इस प्रकार के कार्य समाज को स्थाई गति प्रदान करते हैं और समाज को स्व की पहचान कराने हेतु श्रीमान् रामनारायण सोनी द्वारा किया गया प्रयास अत्यन्त सारगर्भित एवं सराहनीय है। इसके पश्चात् विशिष्ट अतिथि श्रीमान् सतीश सोनी द्वारा ग्रन्थ के लेखक महोदय के कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई एवं इन्हें हार्दिक बधाई प्रेषित की गई।
कार्यक्रम की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए श्रीमान् रामनारायण सोनी ने अपने उद्बोधन में ग्रन्थ के छ: अध्यायों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। जिसमें क्रमश: प्रथम अध्याय में शिव एवं शक्ति की व्याख्या की गई द्वितीय अध्याय में देवी की महिमा का वर्णन किया गया है। तृतीय अध्याय में राजस्थान में कुलदेवयिां एवं शक्ति स्थल का विस्तृत वर्णन किया गया है। चतुर्थ अध्याय में राजपूत जाति के प्रमुख राजवंशों का वर्णन है। पंचम अध्याय में गोत्र की व्याख्या, महत्व एवं ऐतिहासिक परिदृश्य को उजागर किया गया है तथा अंतिम षष्ठम अध्याय में मैढ़ जाति के गोत्रों का वर्णन किया गया है। अन्त में संदर्भ ग्रन्थ सूची के अन्तर्गत ग्रन्थ के लेखन हेतु प्रयोग में लिए गए संदर्भों का उल्लेख किया गया है।
इनके उद्बोधन के पश्चात् मंचासीन अतिथियों द्वारा ग्रन्थ का विमोचन किया गया। तत्पश्चात् संस्था द्वारा श्रीमान् रामनारायण जी सोनी का अभिनन्दन किया गया। जिसके अन्तर्गत श्रीमान् जगदीश जी जौहरी रामगढ़ शेखावाटी द्वारा माल्यार्पण, श्रीमान् श्याम आर्य, अतिरिक्त राजकीय महाधिवक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा साफा एवं शॉल ओढ़ाया गया तथा डॉ मेहरसिंह सोनी द्वारा अभिवन्दन पत्र भेंट किया गया। इससे पूर्व संस्था की सदस्या श्रीमती सुरभि सोनी द्वारा अभिवन्दन पत्र का वाचन किया गया। इसी क्रम में विभिन्न जिलों से पधारे समाजबंधुओं द्वारा श्रीमान् रामनारायण सोनी को प्रशस्ति-पत्र, शॉल, पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिश्रीमान् राजेन्द्र जी राठौड़ द्वारा अपने उद्बोधन में लेखक के कार्य मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। उन्होंने भी इस बात पर बल दिया कि समाज को आगे तभी बढाया जा सकता है जबकि समाज स्वयं के इतिहास, संस्कारों, परम्पराओं, रीति-नीतियों से परिचित हो। स्व की पहचान रखता हो। आपने लेखक एवं आयोजक संस्था को साधुवाद प्रेषित किया।
इसके पश्चात् संस्था परामर्शद् श्रीमान् हनुमान सहाय सोनी द्वारा श्रीमान् रामनारायण सोनी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर बड़े ही तथ्यात्मक ढंग से प्रकाश डाला गया। आपने बताया कि श्रीमान् रामनारायण सोनी ने किस प्रकार अत्यधिक परेशानियों का सामना करते हुए भी अपने दृढ़ विश्वास एवं समाज सेवा भाव के फलस्वरूप इस कार्य को सम्पन्न किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीमान् मातादीन जी कठाथला द्वारा समाज में विघटन की स्थिति पर दु:ख व्यक्त करते हुए समाज को एक करने हेतु प्रयासों को गति देने की बात कही और संस्था तथा लेखक को इनके सार्थक प्रयासों हेतु बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
कार्यक्रम के अन्त में जयपुर नगर निगम के भाजपा पार्षद एवं संस्था के सदस्य शिवकुमार सोनी द्वारा कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्रेषित की गईं। इसके पश्चात् संस्था अध्यक्ष गजेन्द्र सोनी द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन श्रीमती इन्दूलता सोनी एवं संस्था के संगठन मंत्री सागर सोनी द्वारा किया गया। अन्त में देशभर से पधारें हुए समाजजन ने सप्रेम दोपहर भोजन प्राप्त किया गया।





4 comments:

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  4. मुझे ये पुस्तक चाहिये कृपया बताये की ये पुस्तक को कहाँ मिलेगी
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