Wednesday, July 3, 2013

Swarnkar Samaj Hounouring of Student and Scholarship Distribution Programme


स्वर्णकार समाज द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान एवं छात्रवृत्ति वितरण समारोह भव्यता के साथ हुआ सम्पन्न
     जयपुर, 30 जून। सत्र 2012-13 में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर द्वारा आयोजित 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में राज्य एवं जिला स्तर पर स्वर्णकार समाज के मेरिट में आने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों एवं साथ ही आवश्यकता आधारित विद्यार्थियों को छात्रवृत्तिा प्रदान करने तथा उच्चतर शिक्षा में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को सम्मानित करने हेतु राजस्थान पुलिस अकादमी, नेहरू नगर, पानीपेच, जयपुर के सभागार में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के अध्यक्ष प्रोफेसर पी.एस.वर्मा ने कहा कि किसी भी समाज अथवा देश के विकास का सर्वाधिक सशक्त माध्यम शिक्षा ही है। शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़कर ही हम अपने समाज व देश को आगे बढ़ा सकते हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री हितेशचन्द्र स्वर्णकार, राज्य स्तरीय पुरस्कृत शिक्षक, बांसवाडा, ने कहा कि बालक के सर्वांगीण विकास का तात्पर्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है। इसके अतिरिक्त उसमें शैक्षिक एवं सामाजिक मूल्यां का विकास करना भी आवश्यक है। आज का विद्यार्थी केवल पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त कर नौकरी की दौड़ में शामिल है किन्तु वह अपने सामाजिक और मानवीय मूल्यों को पीछे छोड़ रहा है। इसका प्रथम दायित्व एक शिक्षक का है। साथ ही परिवार से भी अपेक्षा की जाती है कि वह अपने बच्चों में सर्व प्रकार के सकारात्मक मूल्यों का विकास करे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वित्ता विभाग, राजस्थान सरकार में संयुक्त सचिव श्रीमान् एल.एन.सोनी (आईएएस) ने की। इन्होंने अपने ओजस्वी उद्बोधन में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित करने पर बल दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीमान् चन्द्रप्रकाश अग्रोया ने कहा कि स्वर्णकार समाज में राज्य, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। किन्तु फिर भी स्वर्णकार समाज को शैक्षिक दृष्टि से विकसित करने हेतु अभी और अधिक प्रयास करने होंगे। इस दिशा में सार्थक उपलब्धि प्राप्त कर ही हम अपने समाज को आगे ला सकते हैं। कार्यक्रम के अन्य विशिष्ट अतिथि श्रीमान् जुगलकिशोर मौसूण ने समाज के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में आगे आकर अपने परिवार एवं समाज के विकास में योगदान हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम संयोजक उमेश कुमार सोनी ने बताया कि कार्यक्रम में 08 मेरिट स्कॉलर्स (हर्षा सोनी-जयपुर, हेमन्त सोनी-सीकर, अंकित सोनी-सीकर, आशीष सोनी-भरतपुर, विनोद कुमार सोनी-झालवाड, सुप्रिया सोनी-हनुमानगढ़, आदित्य सोनी-अलवर, मीनाक्षी सोनी-सीकर) को प्रति विद्यार्थी 5100/- छात्रवृत्तिा के रूप में प्रदान किए तथा 18 आवश्यकता आधारित प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उनके गत कक्षा के प्राप्तांकों के आधार पर 5100/-, 6100/-, 7100/- रुपये प्रति छात्र छात्रवृत्ति के रूप में प्रदान किए गए। साथ ही उच्चतर शिक्षा में अध्ययनरत् 21 विद्यार्थियों (कु. भावना सोनी-नागौर, रेवन्त सोनी-अजमेर, चैतन्य सोनी-जयपुर, कु. मोनिका सिंह सोनी-जयपुर, कु. सुरभि सोनी-जयपुर, कु. वर्षा सोनी-जयपुर, कु. कसुम सोनी-जयपुर, तनय सोनी-जयपुर, लोकेश कुमार सोनी-अजमेर, अक्षय सर्राफ-जयपुर, शुभम स्वर्णकार-बांसवाडा, कु. शिखा सोनी-जयपुर, कु. भावना सोनी-जयपुर, अभिषेक सोनी-जयपुर, सौरभ स्वर्णकार-बांसवाडा, अंकित सोनी-अलवर, अभय सर्राफ-जयपुर, कु. गुंजन सोनी-जयपुर, प्रशान्त सोनी-जयपुर, मोहित सोनी-जयपुर, हिमांशु सोनी-जयपुर) को तथा कार्यक्रम में सहयोग देने वाले 28 भामाशाहों (श्री जुगलकिशोर मौसूण-जयपुर, श्री सत्यनारायण मौसूण-जयपुर, श्री भंवरलाल सोनी (भामा)-जयपुर, श्री सागरमल सोनी (नारनौली)-जयपुर, श्री विजय सोनी (जालू)-जयपुर, श्री सतीश कुमार सोनी (जोड़ा)-जयपुर, श्री दीपक कुमार सोनी (जाल्वी)-जयपुर, श्री प्रहलाद सोनी-जयपुर, श्री रविन्द्र सोनी (रोड़ा)-जयपुर, श्री मनोज सोनी (मौसूण)-जयपुर, श्रीमती विद्योत्तामा वर्मा (देवाल)-जोधपुर, श्री अम्बालाल स्वर्णकार-अजमेर, श्री सीताराम भामा-जयपुर, डॉ. आर.पी.आसट-जयपुर, श्री नाथूलाल सोनी (तोषावड़)-सीकर, श्री नंदकुमार कैलाशचंद सोनी (सारडीवाल)-जयपुर, श्री रमाकान्त जौहरी (कडेल)-जयपुर, श्री रामस्वरूप वर्मा (माण्डण)-जयपुर, श्री बजरंग लाल सोनी-जयपुर, श्री सत्यनारायण सोनी (सुनालिया)-जयपुर, श्री मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार छात्र-छात्राएँ वेलफेयर सोसायटी-जोधपुर, श्री सूरज सोनी (रूण्डवाल)-जयपुर, श्री ओम सोनी (बूटण), श्री अनिल सोनी (दौसोल्या), श्री हितेशचन्द्र स्वर्णकार (बेवार)-बांसवाड़ा, श्री सुनील सोनी (सहदेवड़ा)-जयपुर, श्री लखन सोनी (अग्रोया)-जोधपुर, श्री निखिल सोनी (थूणगर)-जयपुर) को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में स्वर्णकार समाज का प्रबुध्द वर्ग, विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी, समाज सेवी, व्यवसायी वर्ग, बच्चे, महिलाएँ, बुजुर्ग काफी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में संस्था के सचिव योगेश सोनी ने अतिथियों तथा समाज बंधुओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच संचालन श्रीमती इंदुलता सोनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सफल संचालन में संस्था के सभी सदस्यों का अभूतपूर्व सहयोग रहा।


(सागर सोनी)

प्रचार मंत्री

Tuesday, April 30, 2013

स्वर्णकार समाज के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिये स्वर्णकार समाज उत्थान समिति (रजि.) द्वारा छात्रवृत्ति योजना (द्वितीय वर्ष) (Scholarship Plan for the Students of Swarnkar Samaj)


स्वर्णकार समाज उत्थान समिति (रजि.) द्वारा वर्ष 2013 में माध्यमिक (कक्षा 8 से 10 तक) तथा उच्च माध्यमिक स्तर (कक्षा 1112) पर अध्ययनरत् विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान करने की जायेंगी। जिसके अन्तर्गत निम्नानुसार छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जायेंगी-
1. मेरिट स्कॉलरशिप - राजस्थान में बोर्ड ऑफ सैकण्डरी एजुकेशन राजस्थान, अजमेर द्वारा आयोजित माध्यमिक अथवा उच्च माध्यमिक स्तरीय वार्षिक परीक्षा में राज्य अथवा जिला स्तर पर प्रथम 15 मेरिट क्रमांक तक आने वाले विद्यार्थियों को 5100/- प्रति विद्यार्थी (सत्र 2013-14 हेतु अधिकतम 07 विद्यार्थी) की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्रदान की जायेगी।
2. आवश्यकता आधारित प्रतिभाशाली विद्यार्थियों हेतु छात्रवृत्ति (विद्यालय स्तर पर अध्ययन हेतु कक्षा 08 से 12 तक) - इसके अन्तर्गत ऐसे विद्यार्थी जो धनाभाव के कारण शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं अथवा कठिनाई अनुभव कर रहे हैं, को छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी। (सत्र 2013-14 हेतु अधिकतम 14 विद्यार्थी) इस श्रेणी के अन्तर्गत तीन उपश्रेणियां बनाई गई हैं:-
2.1     आवश्यकता आधारित उच्च प्रतिभाशाली विद्यार्थी - इस श्रेणी में उन विद्यार्थियों को लाभ प्रदान किया जा सकेगा। जिनके प्राप्तांक पिछली कक्षा में 75 प्रतिशत या इससे अधिक हैं। इस हेतु प्रति छात्र 7100/- रुपये अथवा विद्यालय की कुल वार्षिक फीस की राशि दोनों में से जो न्यून हो छात्रवृत्ति के रूप में एक वर्ष हेतु प्रदान की जायेगी। (सत्र 2013-14 हेतु अधिकतम 06 विद्यार्थी)
2.2     आवश्यकता आधारित औसत प्रतिभाशाली विद्यार्थी - इस श्रेणी में उन विद्यार्थियों को लाभ प्रदान किया जा सकेगा। जिनके प्राप्तांक पिछली कक्षा में 60 प्रतिशत या इससे अधिक तथा 75 प्रतिशत से कम हैं। इस हेतु प्रति छात्र 6100/- रुपये अथवा विद्यालय की कुल वार्षिक फीस की राशि दोनों में से जो न्यून हो छात्रवृत्ति के रूप में एक वर्ष हेतु प्रदान की जायेगी। (सत्र 2013-14 हेतु अधिकतम 04 विद्यार्थी)
2.3     आवश्यकता आधारित अल्प प्रतिभाशाली विद्यार्थी - इस श्रेणी में उन विद्यार्थियों को लाभ प्रदान किया जा सकेगा। जिनके प्राप्तांक पिछली कक्षा (उत्तीर्ण) में प्राप्तांकों का प्रतिशत 60 प्रतिशत से न्यून है। इस हेतु प्रति छात्र 5100/- रुपये अथवा विद्यालय की कुल वार्षिक फीस की राशि दोनों में से जो न्यून हो छात्रवृत्ति के रूप में एक वर्ष हेतु प्रदान की जायेगी। (सत्र 2013-14 हेतु अधिकतम 04 विद्यार्थी)
- उक्त सभी छात्रवृत्तियां संस्था द्वारा जून अंतिम सप्ताह अथवा जुलाई प्रथम सप्ताह में आयोजित कार्यक्रम के अन्तर्गत ही चिह्नित विद्यार्थियों को प्रदान की जायेगी।
कार्यक्रम के अन्तर्गत उच्च शिक्षा (इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन अथवा अन्य प्रोफेशनल कोर्सेंज) में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को भी प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा।
उक्त सभी प्रकार के विद्यार्थियों की सूचना कृपया निम्न सम्पर्क सूत्रों पर प्रेषित करने की कृपा करें।
छात्रवृत्ति प्रदान करने हेतु समाज के भामाशाहों से सहयोग अपेक्षित है।
विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने संबंधी नियम एवं अधिक जानकारी हेतु संस्था की बेवसाइट से सूचना डाउनलोड की जा सकती है अथवा निम्न पदाधिकारियों से सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त की जा सकती है:-
सम्पर्क व्यक्ति : गजेन्द्र सोनी-अध्यक्ष (9414074401), योगेश सोनी-सचिव (9314023251), उमेश कुमार सोनी-संयोजक (9314405401)

कार्यालय पता : ए-1, गोविन्द देव कॉलोनी, चौगान स्टेडियम के पीछे, तालकटोरा, जयपुर-302002
बेवसाइट % www.swarnkarutthan.com, ब्लॉग % http://swarnkarutthan.blogspot.com
ई-मेल % ssus.rajasthan@gmail.com

Tuesday, January 29, 2013

Lecture on "Aacharya Chatursen Shaastri"



आचार्य चतुरसेन शास्त्री स्मृति व्याख्यान आयोजित
जयपुर 27 जनवरी। विद्याधर नगर स्थित बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के उत्सव सभागार में स्वर्णकार समाज उत्थान समिति और बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को आचार्य चतुरसेन शास्त्री स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया    कार्यक्रम में प्रसिद्ध लेखक, चिकित्सक, वास्तु शास्त्री और साहित्यका आचार्य चतुरसेन शास्त्री के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में चर्चा की गई। ''करे कोई तरकीब ऐसी कि सब संभलते रहें, हवाएं भी चलती रहें और दिए भी जलते रहे'', कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के निदेक डॉ रामधारी सैनी ने कुछ इन्ही पंक्तियों के साथ अपनी बात के शुरूआत करते हुए कहा कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लेखन के क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है, उन्होंने कहा कि एक अच्छे लेखक की रचनाएं किसी सम्मान और पुरस्कार की मोहताज नहीं होती, पाठकों के बीच उनकी प्रसिद्धि और इतिहास के पन्नों में उनका नाम ही उन्हें महान् और अमर बना देता है। जिस तरह से कबीर और मीरा को आज तक किसी पुरस्कार या सम्मान से नहीं नवाजा गया, लेकिन फिर भी उनकी रचनाएं लोगों की जुबान पर अमिट रूप से अंकित हो गई हैं, ठीक उसी तरह आचार्य चतुरसेन शास्त्री भी लोगों के दिलों में जगह बना कर अमर हो गए हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गुरु गोविन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में फैकल्टी ऑफ बेसिक एण्ड एप्लाइड सांइसेस, के डीन प्रो वी क़े वर्मा ने आचार्य चतुरसेन शास्त्री के पारिवारिक और सामाजिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इनका जन्म 26 अगस्त, 1891 को बिबियाना, चान्दोल ग्राम के पास, बुलन्द शहर, उत्तरप्रदेश में हुआ था। इनके जन्म का नाम चतुर्भुज था। इनके दादा मनसुख बाबा तथा पिता केवलराम जी थे। गाँव में इनकी सर्राफे की दुकान थी। 1901 में आर्य समाज के पण्डितों द्वारा इनका यज्ञोपवीत संस्कार करवाया गया। 1907 से 1911 तक इनका जयपुर प्रवास रहा। 1915 में जयपुर के संस्कृत महाविद्यालय से इन्होंने संस्कृत शास्त्री एवं आयुर्वेद की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। बचपन से ही समाज सेवा की भावना के चलते इन्होंने अपने मित्रों के साथ मिलकर एक प्रीति मण्डल बनाया। जिसकी शुरूआत इन्होंने इन शब्दों के साथ की :-
आइये मिल बैठकर, एक सभा कायम कीजिए।
नाम उसका प्रीतिमण्डल, बस अभी रख दीजिए।
यह उन्नति सोपान, जो दुघर्ष है भारी यहाँ।
हम सबों को जोश में, हस्तामलक सा दीखता।
आचार्य जी प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य भी थे। अजमेर में इनके श्वसुर का ''कल्याण औषधालय'' के नाम से औषधालय चलता था जिसमें कुछ समय आचार्य जी ने कार्य भी किया। 1919 में भाई भद्रसेन व पत्नी के साथ वीटी स्टेशन पहुंचे व कालवादेवी रोड़ पर ''अजमेर वाले वैद्यराज'' के नाम से औषधालय शुरू किया। इनके द्वारा लिखित ग्रन्थ ''सत्याग्रह और असहयोग'' को गणेश शंकर विद्यार्थी ने ''राजनीति की गीता'' कहा। इनके द्वारा लिखे गए प्रमुख ग्रन्थों में वैशाली की नगर वधु, वयम् रक्षामं:, गोली, धर्मपुत्र, सोना और खून, सोमनाथ, निरोग जीवन, यादों की परछाईयां आदि हैं। आचार्य जी द्वारा अपनी आत्मकथा ''मेरी जीवन कहानी'' भी लिखी गई है। प्रो वी क़े वर्मा ने बड़े दु:ख के साथ कहा कि आचार्य चतुरसेन जी का योगदान साहित्य और आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय है, किन्तु इन्हें आज के दौर में अहंकारी लेखक कहकर नकारा जाता है, लेकिन वास्तव में वह अहंकारी नहीं बल्कि स्वाभिमानी लेखक थे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बियानी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के चेयरमैन डॉ राजीव बियानी ने कहा कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री का सम्पूर्ण जीवन एक चिन्तन और मनन का विषय है, लोगों के लिए आर्द है। उन्होंने कहा कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री के व्यक्तित्व की सबसे बडी विशेषता यह कि उनमें देने की इच्छा थी, लेने की ललक नहीं थी। उनका यही व्यक्तित्व हम सभी के मनो में आज भी हम जीवित है, बस जरूरत है, उसे पहचान कर निखारने की।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश से विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ चन्द्रशेखर शास्त्री ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आपने अपने उद्गार में आचार्य चतुरसेन शास्त्री के जीवन से संबंधित कुछ अनछुए पहलुओं पर चर्चा की। आपने बताया कि आचार्य चतुरसेन जी के परिवार से आपका अभी भी निरन्तर सम्पर्क है और आपने आचार्य जी के दिल्ली स्थित निवास की सुन्दरता एवं वैभव का बखान करते हुए बताया कि आचार्य जी एक बहुत अच्छे शिल्पी भी थे। इन्होंने अपने हाथों से अपने निवास को सजाया है और इसकी सुन्दरता देखते ही बनती है। आपने बहुत ही गंभीर स्वर में कहा कि यदि आचार्य जी के द्वारा लिखित साहित्य को नहीं सहेजा गया तो इतिहास के लिए एक बहुत बडी हानि होगी। ये स्वर्णकार समाज का दायित्व है कि वे आचार्य जी के वर्तमान में उपलब्ध साहित्य के संरक्षण के लिये पहल करे। आपने बताया कि आचार्य जी का वर्तमान में जो साहित्य उपलब्ध है, उसे लगभग 24 पुस्तकों में श्रृंखलाबद्ध तरीके से सुरक्षित किया जा सकता है जिसपर औसतन 22 से 24 लाख रुपये का खर्च होने का अनुमान है। यदि समाज के भामाशाह आगे आयें तो आचार्य जी की दुर्लभ कृतियों को भविष्य हेतु सुरक्षित किया जा सकता है। आपने इस बात पर भी बल दिया कि देश का स्वर्णकार समाज प्रयास करे और आचार्य चतुरसेन शास्त्री को 'भारत रत्न' से अलंकृत किए जाने हेतु सरकार को लिखे।
कार्यक्रम का सर्वाधिक सुखद पहलु ये रहा है कि डॉ चन्द्रशेखर शास्त्री के आग्रह पर आचार्य चतुरसेन शास्त्री की दोहिती कु क़ानन चतुरसेन भी कार्यक्रम में उपस्थित हुई
          इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा सुधीर सोनी ने कहा कि संघर्ष ही इंसान के व्यक्तित्व को निखारता है, जिस प्रकार सोने को तपाकर उसे और अधिक मूल्यवान और सुन्दर बनाया जाता हैं, उसी प्रकार संघर्षो का सामना करते करते इंसान एक सफल व्यक्तित्व के रूप में सामने आता है। मुश्किलें जितनी अधिक होती है, जीत का मजा उतना ही अधिक आता है, आचार्य शास्त्री के जीवन में भी संघर्ष बहुत थे, और उन सभी का सामना कर वह सफल व्यक्तित्व के रूप में पूरी दुनिया के सामने आए। डॉ सोनी ने आचार्य जी के द्वारा लिखित प्रमुख ग्रन्थों एवं उपन्यासों पर साहित्यिक रूप से प्रकाश डाला तथा उनके साहित्यिक वैभव से समाज बंधुओं का परिचय करवाया।
इसी के साथ कार्यक्रम के अध्यक्ष बृज भाषा अकादमी के पूर्व सचिव श्रीमान नाथूलाल महावर ने कार्यक्रम को अपनी आशु कविता के माध्यम से सार के रूप में प्रस्तुत किया और वातावरण को आनन्दमय बना दिया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ सभी अतिथि महानुभावों द्वारा माँ सरस्वती, भगवान श्री गणेश और महाराजा अजमीढ़ के समक्ष द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। इसके पश्चात् अतिथियों का तिलक द्वारा स्वागत संस्था के सदस्य विमलेश सोनकी सुपुत्री कु क़शिश सोनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय संस्था के संयुक्त सचिव एवं कार्यक्रम संयोजक उमेश कुमार सोनी द्वारा करवाया गया। इसी क्रम में संस्था का परिचय सदस्य संदीप सोनी तथा इसके उद्देश्य पर कैलाशचंद सारडीवाल द्वारा प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम के अंत में स्वर्णकार समाज उत्थान समिति के अध्यक्ष गजेन्द्र सोनी ने आए हुए समस्त अतिथियों और स्वर्णकार समाज उत्थान समिति की टीम की ओर से किए गए सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके पश्चात् अतिथियों को स्मृति चिह्न के रूप में साहित्य भेंट किया गया जिसके अन्तर्गत मुख्य अतिथि डॉ रामधारी सैनी को साहित्य गौ सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्रीमान् गुलजारी लाल सोनी द्वारा, अध्यक्ष श्रीमान् नाथूलाल महावर को श्रीमान् चन्द्रप्रकाश अग्रोया द्वारा, विशिष्ट अतिथि डॉ राजवी बियानी को सैल्स टैक्स में अतिरिक्त आयुक्त एवं हाल ही में आईएएस अधिकारी के रूप में पदोन्नत श्रीमान् एलएनसोनी द्वारा, मुख्य वक्ता प्रो वीक़ेवर्मा को ज्वैलरी व्यवसायी एवं कोलोनाईजर श्री महेश सोनी द्वारा, अन्य मुख्य वक्ता डॉ सुधीर सोनी को मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज जयपुर पश्चिम के महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा श्रीमती मिथिलेश सुनालिया द्वारा तथा विशेष आमंत्रित अतिथि डॉ चन्द्रशेखर शास्त्री को पूर्व संयुक्त रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग श्रीमान् रामजीलाल सोनी द्वारा भेंट किया गया। कार्यक्रम में मंच का सफल संचालन संस्था के मीडिया सचिव सागर सोनी द्वारा किया गयाकार्यक्रम में समाज का प्रबुद्ध वर्ग जिनमें महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल थे, बडी संख्या में उपस्थित रहा। कार्यक्रम के सफल आयोजन में संस्था के सभी सदस्य का भरपूर योगदान रहा।

उमेश कुमार सोनी
                                                  कार्यक्रम संयोज